देशभर में मकर संक्रांति के पावन पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह उठकर नदी तट पर जाते हैं। इस दिन लोग स्नान कर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं। मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य करने को भी शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से खाने में खिचड़ी बनाई जाती है। इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किया जाता है। खिचड़ी को सबसे शुद्ध खाना भी माना जाता है। इसमें चावल, दाल और तरह-तरह की सब्जियों का मिश्रण होता है।
मकर संक्रांति के दिन चावल और उड़द दाल की खिचड़ी खाने और दान करने का बड़ा महत्व है। इसी कारण कई राज्यों में इस त्योहार को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। खिचड़ी खाने के महत्व को लेकर लोग कहते हैं कि इसमें चावल को चंद्रमा का प्रतीक और उड़द दाल को शनि का प्रतीक माना जाता है।
मकर संक्रांति पर तिल खाने को लेकर भी एक पौराणिक मान्यता रही है। श्रीमद्भागवत और श्रीदेवी भागवत महापुराण के अनुसार शनिदेव का अपने पिता सूर्यदेव से बैर था। कारण कि अपने पिता को उन्होंने अपनी माता और पहली पत्नी संज्ञा के बीच भेदभाव करता पाया। नाराज होकर शनि ने पिता को ही कुष्ठरोग का श्राप दे डाला।
रोगमुक्त होने पर सूर्यदेव ने शनि के घर यानी कुंभराशि को जला दिया। बाद में अपने ही पुत्र को कष्ट में देखकर उन्हें अफसोस हुआ। उन्होंने कुंभ राशि में देखा तो वहां तिल के अलावा सबकुछ जल चुका था। शनि ने तिल से ही सूर्यदेव को भोग लगाया, जिसके बाद शनि को दोबारा उनका वैभव मिल गया। इसी वजह से इस दिन तिल खाने और दान करने का महत्व है।
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