सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक सैन्य अधिकारी का उसकी पत्नी से तलाक मंजूर करते हुए कहा कि जीवनसाथी के खिलाफ मानहानिकारक शिकायतें करना और उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना मानसिक क्रूरता के समान है। न्यायमूर्ति एस के कौल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने टूटे हुए संबंध को मध्यमवर्गीय वैवाहिक जीवन की सामान्य टूट-फूट करार देकर अपने निर्णय में त्रुटि की।
कोर्ट ने कहा कि लाइफ पार्टनर के खिलाफ मान-प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली शिकायतें करना और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना मानसिक क्रूरता के दायरे में आएगा और इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सेना के अधिकारी को उसकी पत्नी के खिलाफ तलाक के केस में डिक्री प्रदान कर दी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले में खामियां है। हाई कोर्ट ने कहा था कि टूटे हुए संबंध मध्यवर्गीय वैवाहिक जीवन की सामान्य खींचतान है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रतिवादी ने क्रूरता किया है।
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